अकबर की धार्मिक नीति के विकास का वर्णन | दीन-ए-इलाही का जिक्र करते हुए अकबर की धार्मिक नीतियों की चर्चा कीजिए
अकबर की धार्मिक नीति का मध्यकालीन भारतीय इतिहास में विशेष महत्व है, क्योंकि उसकी आर्थिक नीति उसकी प्रशासनिक व्यवस्था का मुख्य केन्द्र थी। अकबर की धार्मिक नीति बाबर व हुमायूँ की नीतियों से पूर्णत: भिन्न थी। बाबर व हुमायूँ ने अपने काल में सल्तनकालीन शासकों की नीतियों का पालन किया। उसकी नीति हिन्दुओं पर अत्याचार व असहिष्णुता की नीति थी। अकबर ने पहले तो इसी नीति को अपनाया परन्तु बाद में उसके धार्मिक विचारों में काफी परिवर्तन हुआ। Read more….