बाल अपराध का अर्थ एवं परिभाषा
बाल अपराध के अर्थ के सम्बन्ध में अपराधशास्त्रियों तथा समाजशास्त्रियों में एकमत का अभाव है। अपराध की परिभाषा दो दृष्टिकोणों से दी जा सकती है-

(1) बाल-अपराध
सामाजिक दृष्टिकोण से प्रत्येक समाज के अपने रीति-रिवाज, प्रथाएँ, परम्पराएँ, रूढियाँ, संस्थाएँ आदर्श प्रतिमान आदि होते हैं। इन अनौपचारिक साधनों के द्वारा व्यक्ति का व्यवहार नियन्त्रित होता है। सामाजिक दृष्टिकोण से इन साधनों के विरुद्ध होने वाला व्यक्ति का व्यवहार ही बाल अपराध कहलाता है। सामाजिक दृष्टिकोण से बाल अपराध की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-
(i) विलियम हीले के अनुसार : “व्यवहार के समाजिक आदर्शों से विचलित होने वाले बालक को बाल अपराधी कहा जाता है।”
(ii) मार्टिन न्यूमेयर के अनुसार : “बाल अपराध का तात्पर्य समाज विरोधी व्यवहार का कोई प्रकार है, जो वैयक्तिक एवं सामाजिक विघटन उत्पन्न करता है।”
(2) बाल अपराध : कानूनी दृष्टिकोण
प्रत्येक देश के कुछ निश्चित नियम एवं कानून होते हैं। इन नियमों एवं कानूनों के द्वारा व्यक्ति के कुछ कार्यों को निषिद्ध घोषित किया जाता है। इन निषिद्ध कार्यों का बालकों के द्वारा किया जाना ही बाल अपराध कहलाता है। सभी देशों में बाल अपराधी की निम्नतम तथा उच्चतम आयु निश्चित होती है। कानूनी दृष्टिकोण से बाल-अपराध की कुछ प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं- Read more…