महादेवी वर्मा की प्रारम्भिक रचनाएँ ब्रजभाषा में हैं। आगे चलकर इन्होंने खड़ीबोली में रचना आरम्भ किया और हिन्दी साहित्य में प्रमुख कवयित्री के रूप में प्रसिद्ध हुईं।
महादेवी जी की कविता में छायावाद तथा रहस्यवाद की भावनाएँ लक्षित होती हैं। उन्होंने अपने काव्य में मुख्य रूप से आत्मा-परमात्मा का मिलन, वियोग तथा प्रकृति के व्यापारों का मधुर भावमय चित्रण किया है। उनके सम्पूर्ण काव्य में प्रेम की गहराई के साथ वेदना और पीड़ा की प्रधानता है। यही उनकी कविता का प्राण है। अपने प्रेम और विरह भावनाओं के कारण वे आधुनिक युग की मीरा कही जाती हैं।Read more..