व्यक्तिगत विभिन्नता- अर्थ, स्वरुप, प्रकार, कारण एवं शैक्षिक महत्व
व्यक्तिगत विभिन्नताओं का अर्थ एवं स्वरूप
व्यक्तिगत विभिन्नता से अभिप्राय है प्रत्येक व्यक्ति में जैविक, मानसिक, सांस्कृतिक, संवेगात्मक अन्तर पाया जाना। इसी अन्तर के कारण व्यक्ति, दूसरे से भिन्न माना जाता है। मनोविज्ञान के क्षेत्र में 19वीं सदी में फ्रांसिस गाल्टन, पियर्सन, कैटेल, टर्मन आदि ने व्यक्तिगत भिन्नता का पता लगाया तथा उनके कारणों की खोज की। स्किनर के शब्दों में- बालक भी प्रत्येक सम्भावना के विकास का एक विशिष्ट काल होता है। यह काल वैयक्तिक भिन्नता के कारण भिन्न-भिन्न अवधि का होता है। यदि उचित समय पर इस सम्भावना को विकसित करने का प्रयत्न न किया गया तो उसके नष्ट हो जाने का भय रहता है।
कोई भी दो व्यक्ति समान नहीं होते। यहाँ तक कि जुड़वाँ बच्चों में भी असमानता पाई जाती है। इस दृष्टि से वैयक्तिक भिन्नता प्रकृति द्वारा प्रदत्त स्वाभाविक गुण है।
सभी प्रकार की शिक्षा-संस्थायें अति प्राचीन काल में मानसिक योग्यताओं के आधार पर छात्रों में अन्तर करती चली आ रही है। यद्यपि उन्होंने अपनी इस प्राचीन परम्परा का अभी तक परित्याग नहीं किया है, पर वे इस धारणा का निर्माण कर चुकी हैं कि छात्रों में अन्य योग्यतायें और कुशलतायें भी होती हैं, जिनके फलस्वरूप उनमें कम या अधिक विभिन्नता होती है। इस धारणा को मनोवैज्ञानिक भाषा में व्यक्त करते हुए स्किनर ने लिखा है- “व्यक्तिगत विभिन्नता में सम्पूर्ण व्यक्तित्व का कोई भी ऐसा पहलू सम्मिलित हो सकता है, जिसका माप किया जा सकता है।”

स्किनर की व्यक्तिगत विभिन्नताओं की इस परिभाषा के अनुसार उनमें व्यक्तित्व के वे सभी पहलू आ जाते हैं, जिनका माप किया जा सकता है। माप किये जा सकने वाले ये पहलू कौन- कौन से हैं इनके सम्बन्ध में टायलर ने लिखा है-”शरीर के आकार और स्वरूप, शारीरिक कार्यों, गति सम्बन्धी क्षमताओं, बुद्धि, उपलब्धि, ज्ञान, रुचियों, अभिवृत्तियों और व्यक्तित्व के लक्षणों में माप की जा सकने वाली विभिन्नताओं की उपस्थिति सिद्ध की जा चुकी है।”
टायलर के अनुसार- “एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति से अन्दर एक सार्वभौमिक घटना जान पड़ती है।”
व्यक्तिगत विभिन्नताओं के प्रकार
व्यक्तिगत भिन्नता के अन्तर्गत रूपरंग, नाकनक्श, शरीर रचना, विशिष्ट योग्यतायें, बुद्धि, रुचि, स्वभाव, उपलब्धि आदि की भिन्नता से व्यक्ति के समग्र रूप की पहचान की जाती है। घर में भाई बहनों में भिन्नता पाई जाती है। जुड़वाँ बच्चों में भी भिन्नता पाई जाती है। इसीलिये स्किनर ने कहा है- व्यक्तिगत मित्रताओं में वे सभी पहलू शामिल है जिनका मापन सम्भव है।
व्यक्तियों में पायी जाने वाली विभिन्नताओं के कारण हम किन्हीं दो व्यक्तियों को एक-दूसरे का प्रतिरूप नहीं कह सकते हैं। ये विभिन्नतायें इतनी अधिक है कि हम इनमें से केवल सर्वप्रधान का ही विवरण प्रस्तुत कर सकते हैं और निम्नलिखित पंक्तियों में ऐसा कर रहे हैं-
1. शारीरिक विभिन्नता
शारीरिक दृष्टि से व्यक्तियों में अनेक प्रकार की विभिन्नताओं का अवलोकन होता है, जैसे- रंग, रूप, भार, कद, बनावट, यौन-भेद, शारीरिक परिपक्वता आदि।
2. मानसिक विभिन्नता
मानसिक दृष्टि से व्यक्तियों में विभिन्नताओं के दर्शन होते हैं। कोई व्यक्ति प्रतिभाशाली, कोई अत्यधिक बुद्धिमान, कोई कम बुद्धिमान और कोई मूर्ख होता है। इतना ही नहीं, एक ही व्यक्ति में शैशवावस्था, किशोरावस्था और अन्य अवस्थाओं में विभिन्न मानसिक योग्यता पाई जाती है। इस योग्यता की जाँच करने के लिए बुद्धि परीक्षाओं का निर्माण किया गया है। वुडवर्थ (Woodworth) का मत है कि प्रथम कक्षा के बालकों की बुद्धि-लब्धि 60 से 160 तक होती है।
3. संवेगात्मक विभिन्नता
संवेगात्मक दृष्टि से व्यक्तियों की विभिन्नताओं को सहज ही जाना जा सकता है। इन विभिन्नताओं के कारण ही कुछ व्यक्ति उदार हृदय, कुछ कठोर हृदय, कुछ खिन्न चित्त और कुछ प्रसन्न चित्त होते हैं। उनकी संवेगात्मक विभिन्नताओं का मापन करने के लिए संवेगात्मक परीक्षणों का निर्माण किया गया है।
4. रुचियों में विभिन्नता
रुचियों की दृष्टि से व्यक्तियों में कभी-कभी आश्चर्यजनक विभिन्नतायें देखने को मिलती हैं। किसी को संगीत में, किसी को चित्रकला में, किसी को खेल में और किसी को वार्तालाप में रुचि होती है। प्रत्येक व्यक्ति की रुचि में उसकी आयु की वृद्धि के साथ-साथ परिवर्तन होता जाता है। यही कारण है कि बालकों और वयस्कों की रुचियों में विभिन्नता होती है। इतना ही नहीं, वरन् बालकों और बालिकाओं या पुरुषों और स्त्रियों की रुचियों में भी अन्तर होता है।
5. विचारों में विभिन्नता
विचारों की दृष्टि से व्यक्तियों की विभिन्नताओं को सामान्यतः स्वीकार किया जाता है। व्यक्तियों में इन विचारों के विविध रूप मिलते हैं; जैसे- उदार, अनुदार, धार्मिक, अधार्मिक, नैतिक, अनैतिक आदि समान विचार या विचारों के व्यक्ति बड़ी कठिनाई से मिलते हैं। विचारों की विभिन्नताओं के अनेक कारणों में से मुख्य है- आयु, लिंग और विशिष्ट परिस्थितियाँ।
6. सीखने में विभिन्नता
सीखने की दृष्टि से व्यक्तियों और बालकों में अनेक विभिन्नतायें दृष्टिगत होती है। कुछ बालक किसी कार्य को जल्दी और कुछ देर में सीखते हैं। इस सम्बन्ध में क्रो एवं क्रो (Crow & Crow) ने लिखा है- “एक ही आयु के बालकों में सीखने की तत्परता का समान स्तर होना आवश्यक नहीं है। उनकी सीखने की भिन्नता के कारण है उनकी परिपक्वता की गति में भिन्नता और उसके द्वारा किसी बात का पहले से सीखे हुए होना।”
7. गत्यात्मक योग्यताओं में विभिन्नता
गत्यात्मक योग्यताओं (Motor Abilities) की दृष्टि से व्यक्तियों में अत्यधिक विभिन्नताओं का होना पाया जाता है। इन विभिन्नताओं के कारण ही कुछ व्यक्ति एक कार्य को अधिक कुशलता से और कुछ कम कुशलता से करते है। इस कुशलता या योग्यता में आयु के साथ-साथ वृद्धि होती जाती है। फिर भी, जैसा कि क्रो एवं क्रो (Crow & Crow) ने लिखा है- “शारीरिक क्रियाओं में सफल होने की योग्यता में एक समूह के व्यक्तियों में भी महान् विभिन्नता होती है।”
8. चरित्र में विभिन्नता
चरित्र की दृष्टि से सभी व्यक्तियों में कुछ-न-कुछ विभिन्नता का होना अनिवार्य है। व्यक्ति अनेक बातों से प्रभावित होकर एक विशेष प्रकार के चरित्र का निर्माण करते हैं। शिक्षा, संगति, परिवार, पड़ोस आदि सभी का चरित्र पर प्रभाव पड़ता है और सभी चरित्र के विभिन्न स्वरूप को निश्चित करते हैं।
9. विशिष्ट योग्यताओं में विभिन्नता
विशिष्ट योग्यताओं की दृष्टि से व्यक्तियों में अनेक विभिन्नताओं का अनुभव किया जाता है। इस सम्बन्ध में एक उल्लेखनीय बात यह है कि सब व्यक्तियों में विशिष्ट योग्यतायें नहीं होती है और जिनमें होती भी हैं, उनमें इनकी मात्रा में अन्तर अवश्य मिलता है। न तो सब खिलाड़ी एक स्तर के होते हैं और न सब कलाकार।
10. व्यक्तित्व में विभिन्नता
व्यक्तित्व की दृष्टि से व्यक्तियों की विभिन्नतायें हमें किसी-न-किसी रूप में आकर्षित करती हैं। हमें जीवन में अन्तर्मुखी, बहिर्मुखी, सामान्य और असाधारण व्यक्तित्व के लोगों से कभी-न-कभी भेंट हो ही जाती है। हम उनकी योग्यता से भले ही प्रभावित न हों, पर उनके व्यक्तित्व से अवश्य होते हैं। इसीलिए टायलर ने लिखा है- “सम्भवतः व्यक्ति, योग्यता की विभिन्नताओं के बजाय व्यक्तित्व की विभिन्नताओं से अधिक प्रभावित होता है।” Read more…..