शिशु मृत्यु (बाल मृत्यु ) दर की समस्या, कारण एवं शिशु मृत्यु पर नियन्त्रण के उपाय।
सामान्य दशाओं में शिशु का जन्म एक स्वाभाविक शारीरिक प्रक्रिया होती है, किन्तु जब गर्भावस्था और प्रसवकाल में दुर्भाग्यपूर्ण स्थितियों का सामना करना पड़ता है तो शिशु जन्म एक संकटपूर्ण घटना का रूप ले लेता है।
भारत की लगभग 68.8% जनसंख्या गाँवों में रहती है, जो आज भी अधिकांशतः अशिक्षित तथा अज्ञात होने के साथ-साथ रूढ़िवादी, रीति-रिवाजों से बंधी हुई है। उनके रहन-सहन, खाने-पीने, स्वच्छता, रोग व परिचर्या की व्यवस्था तथा माता व शिशु की विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए सन्तुलित व पौष्टिक आहार का उन्हें ज्ञान नहीं होता जो शिशु और माता दोनों के जीवन तथा स्वास्थ्य पर कुठाराघात है।
आज के वैज्ञानिक युग की मान्यता है कि जिस बालक ने जन्म लिया है, उसकी अल्पकालिक मृत्यु का प्रश्न ही नहीं उठता। कहा जाता है कि किसी देश की बाल-मृत्यु की दर उस देश की सामाजिक व आर्थिक स्थिति का सर्वश्रेष्ठ सूचक है।Read More…