भारतीय समाज में आध्यात्मवाद एवं सांसारिकता में समन्वय स्थापित करने का प्रारम्भ से ही प्रयत्न किया गया है। यहाँ त्याग और भोग दोनों को ही महत्व दिया गया है। इस देश में व्यक्ति को संसार के प्रति उदासीन रहने को नहीं कहा गया है और न ही सांसारिकता में अपने आपको इतना लीन कर देने को कहा गया है कि वह जीवन के अन्तिम लक्ष्य अर्थात् मोक्ष प्राप्ति को ध्यान Read more…