तुलसीदास का जन्म बांदा जिले के राजापुर नामक गाँव में सन् 1532 ई० में हुआ था। कुछ लोग इनका जन्म स्थान एटा जिले के सोरी नामक स्थान को मानते हैं। ये सरयूपारीण ब्राह्मण थे। इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे और माता का नाम हुलसी था। अमुक्त मूल नक्षत्र में जन्म होने के कारण इनके माता-पिता ने इन्हें त्याग दिया था। स्वामी नरहरिदास ने इनका पालन-पोषण किया था। काशी के शेष सनातन नामक विद्वान् ने इन्हें वेदों, पुराणों आदि ग्रन्थों का ज्ञान कराया था। इनका विवाह दीनबन्धु पाठक की कन्या रत्नावली से हुआ था। वे पत्नी के प्रेम में बहुत अनुरक्त रहते थे। कहते हैं कि पत्नी के उपदेश से ही इनके मन में वैराग्य उत्पन्न हुआ। इनका जीवन काशी, अयोध्या और चित्रकूट में अधिक व्यतीत हुआ। इनकी मृत्यु काशी के असी घाट पर सन् 1623 ई० में हुई।
रचनाएँ
गोस्वामी तुलसीदास के निम्नलिखित 13 ग्रन्थ प्रामाणिक माने गये हैं-
(1) रामचरितमानस,
(2) विनयपत्रिका,
(3) कवितावली,
(4) दोहावली,
(5) गीतावली,
(6) बरवै रामायण,
(7) जानकी मंगल,
(8) रामलला नहछू,
(9) वैराग्य सन्दीपनी,
(10) कृष्ण गीतावली,
(11) पार्वती मंगल,
(12) रामाज्ञा प्रश्न,
(13) हनुमान बाहुक।
गोस्वामी तुलसीदास का मुख्य ग्रन्थ रामचरितमानस है जिसमें उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरित्र को कुशलता के साथ चित्रित किया है कहते हैं, कि इस एक ही ग्रन्थ में जीवन की सारी गुत्थियों का समाधान मिल जाता ऐसी है। गोस्वामी जी के काव्य का वर्ण्य-विषय एकमात्र भगवान राम का गुणगान करना है। केवल राम कथा को हो भिन्न छन्दों और भिन्न शैलियों में बाँधने का प्रयास किया है।Read more…