धर्म का अर्थ एवं परिभाषाएँ
धर्म एक सार्वभौमिक सामाजिक तथ्य है जो आदिकाल से मानव को प्रभावित कर रहा है। प्रत्येक समाज में धर्म का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। जनजातियों का समाजिक जीवन धर्म से प्रभावित होता है। धर्म का स्वरूप इतना जटिल हो गया है और धर्म की परिधि में मानवीय व्यवहार के इतने पक्षों को सम्मिलित किया गया है कि धर्म की एक सर्वमान्य परिभाषा करना कठिन हो गया है।
इन्द्रियग्राह्य प्राकृतिक तथा सामाजिक जगत् से परे किसी ऐसी सत्ता का अनुभव करना जो इस समस्त चर-अचर जगत् का संचालन करती है, धर्म को मान्यता देना है। पारलौकिक शक्ति जो मनुष्य के नियन्त्रण से ऊपर है, मनुष्य को सुख-दुख देती है, इस शक्ति के साथ सम्बन्ध स्थापित Read more….