बाजार विभक्तिकरण से आप क्या समझते हैं? | Bajaar Vibhaktikaran Se Aap Kya Samajhate Hain
बाजार विभक्तिकरण का अर्थ
किसी वस्तु के सम्पूर्ण बाजार को ग्राहकों की विशेषताओं, प्रकृति अथवा विक्रय क्षेत्रों के आधार पर विभिन्न उप-बाजारों या खण्डों में विभक्त करना ही बाजार विभक्तीकरण कहलाता है।
बाजार विभक्तीकरण की अवधारणा इस तथ्य पर आधारित है कि वस्तुओं के बाजार समजातीय होने के बजाय विजातीय होते हैं। किसी वस्तु के दो उपभोक्ताओं या क्रेताओं के स्वभाव, गुण, रुचि, आदत, आय, क्रय करने का ढंग आदि में असमानता या एकरूपता नहीं होती। ग्राहकों को इन लक्षणों के आधार पर कुछ खण्डों में विभक्त किया जा सकता है।
प्रत्येक खण्ड के ग्राहकों की विशेषताएँ अन्य खण्ड के ग्राहकों से भिन्न भिन्न होती हैं और प्रत्येक खण्ड के ग्राहकों की कुछ विशेषताएँ अथवा लक्षणों में समानता Read More…