विराम चिन्ह किसे कहते हैं और यह कितने प्रकार के होते हैं उदाहरण सहित समझाइए
विराम चिन्ह
इसमें दो शब्द हैं- विराम और चिन्ह। विराम का आशय आराम, रूकना, ठहराव इत्यादि। चिन्ह का आशय है- निशान, निश्चित, आकार-प्रकार, स्वरूप। सरल शब्दों में विराम चिन्हों से आशय चिन्हों या संकेतों से है जो लेखक द्वारा शब्दों, वाक्यों या वाक्यांशों के बीच में या अन्त में प्रयुक्त किए जाते हैं ताकि लेखन का भाव स्पष्ट हो सके।
विराम का महत्व
प्रायः यह देखा जाता है कि उच्चारण करते समय वक्ता समय-समय पर कुछ विराम लेता हुआ बोलता है। विराम लेने से उसके बोलने का भाव स्पष्ट हो जाता है। श्रोता को भी इसमें सुगमता रहती है। इस दृष्टि से विराम चिन्हों का अत्यन्त महत्व है।
लेखन में विराम चिन्ह
यही प्रक्रिया भाषा के लिखित स्क्रूप में भी अपनाई जाए तो अर्थ के स्पष्टीकरण में सरलता होती है। इस हेतु आज अनेक विराम चिन्ह निर्धारित हो गए हैं। संस्कृत भाषा के गद्य लेखन में प्राचीन काल में केवल पूर्ण विराम का उपयोग किया जात था, किन्तु आज स्थिति भिन्न है। लगभग यही स्थिति पहले हिन्दी भाषा में भी थी। अंग्रेजी भाषा का भारत में आने के पूर्व हिन्दी भाषा में भी केवल एक ही विराम चिन्ह था, वह भी पूर्ण विराम। अब विभिन्न प्रकार के विराम चिन्ह प्रयुक्त किए जाते हैं।
प्रमुख विराम चिन्ह के प्रकार और उनके प्रयोग
हिन्दी में प्रयुक्त विभिन्न विराम चिन्हों की व्याख्या एवं प्रयोग सम्बन्धी उदाहरण निम्नलिखित हैं-
- पूर्ण विराम (।)- यह वाक्य की पूर्णता का बोधक होता है। इसे एक खड़ी लकीर (।) के रूप में दर्शाया जाता है। पूर्ण विराम संस्कृत से हिन्दी, मराठी, गुजराती आदि भाषाओं में यथावत प्रयुक्त होता है। उदाहरणार्थ- वह अच्छा लड़का है। सचिन तेंदुलकर एक महान् खिलाड़ी हैं। भारत एक कृषि प्रधान देश है।